इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व कैबिनेट मंत्री और सपा नेता आजम खान को रामपुर के क्वालिटी बार कब्जे मामले में जमानत दे दी है। इस मामले की सुनवाई 21 अगस्त को पूरी हो गई थी और फैसला सुरक्षित रखा गया था। गुरुवार को हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उन्हें राहत दे दी।आजम खान के वकीलों ने अदालत में दलील दी थी कि जिस संपत्ति पर क्वालिटी बार चल रहा था, उसे सोसाइटी ने खाली कराकर टेंडर प्रक्रिया से अलॉट किया था। बाद में यह जगह आजम खान की पत्नी और बेटे के नाम मासिक अलॉटमेंट पर दी गई थी। वकीलों का कहना था कि पूरे कानूनी प्रोसेस के बाद ही यह अलॉटमेंट हुआ और इसमें किसी तरह का दबाव या सत्ता का दुरुपयोग नहीं हुआ। FIR 2019 में दर्ज की गई थी जबकि मामला 2013 का था और आजम को 2024 में इसमें आरोपी बनाया गया। जमानत मिलने के बाद अब आजम खान के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है। कोर्ट का आदेश जेल प्रशासन को भेजा जाएगा, जिसके बाद उन्हें रिहा किया जाएगा।गौरतलब है कि अक्टूबर 2023 से आजम खान सीतापुर जेल में बंद हैं। फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने आजम, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को सात-सात साल की सजा सुनाई थी। बाद में हाईकोर्ट ने आजम खान की सजा पर रोक लगा दी थी, हालांकि उनकी पत्नी और बेटे की सजा पर यह रोक लागू नहीं हुई।
आजम खान के खिलाफ अब तक 89 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। ज्यादातर केस 2017 से 2019 के बीच दर्ज हुए। 2022 में उन्हें सभी मामलों में जमानत मिल गई थी और वह जेल से बाहर आ गए थे, लेकिन एक साल से ज्यादा बाहर रहने के बाद फिर जेल जाना पड़ा।करीब 76 साल के आजम खान कई बीमारियों से जूझ रहे हैं। वे लंबे समय से रामपुर की राजनीति का बड़ा चेहरा रहे हैं और मुलायम सिंह यादव के करीबी नेताओं में गिने जाते हैं। समाजवादी पार्टी की स्थापना से ही वे उससे जुड़े हुए हैं। अखिलेश यादव ने जेल में रहने के दौरान भी उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया था।